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लेखनी प्रतियोगिता -08-Jan-2023


दीप तुम जलते रहना
निष्काम हो हर आस से
उद्दीप्त निज विश्वास से
कर्म पथ चलते रहना
दीप तुम जलते रहना।

जब धरा पर जीव सब 
निज लोभ में आसक्त हैं
लोभ के सब दास हैं
और वासना के भक्त हैं
प्रारब्ध के उद्वेग में 
सबकी तुला हिलने लगे
मोह के कीचड़ में जब
मन की नदी मिलने लगे
तुम कमल से खिलते रहना
दीप तुम जलते रहना।

पंथ के बिछड़े जनों
को फिर मिलाना
अंधेरों के भय से
तुम मुक्ति दिलाना
परिश्रम के दिये में तुम
विश्वास की बाती लिए
कर्मयोग का तेल भरकर
खुद को प्रज्ज्वलित किये
निष्काम हो जलते रहना
दीप तुम जलते रहना।।

कर्म का सूरज भी चमकेगा
अभी कुछ देर है
दिन से पहले रात भी है
ये समय का फेर है
खुशी है अंधेरे भरे पथ
में जो तुम साथी बने
भटकते पथिकों को आ
आसार की पाती बने
यूं साथ बस चलते रहना
दीप तुम जलते रहना।।





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10 Comments

Punam verma

09-Jan-2023 10:35 AM

Very nice

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Anshumandwivedi426

09-Jan-2023 01:06 PM

सादर धन्यवाद आभार

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Abhinav ji

09-Jan-2023 07:51 AM

Very nice 👌👍

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Anshumandwivedi426

09-Jan-2023 08:22 AM

कोटिशः धन्यवाद आभार आपका

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Swati chourasia

09-Jan-2023 07:45 AM

वाह बहुत ही खूबसूरत रचना आदरणीय 👌👌🙏

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Anshumandwivedi426

09-Jan-2023 08:22 AM

आपकी प्रशंसा ज्यादा अच्छी है

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